किसानों के लिए अच्छी धूप और बारिश जितनी जरुरी है अपने फसलों के लिए उतनी ही जरुरी अपने फसलों को नील गाय और जंगली सूअरों से बचाना होता है। इसे किसान सरकार से हर बार गुहार लगती है कि फसलों को बर्बाद कर रहे नीलगाय (घोड़परास) और जंगली सुअरों से उनके फसलों को बचाया जाये। और अब इस गुहार की आवज़ सरकार तक पहुँच चुकी है। जिससे एकर सरकार की और से यह स्पष्ट कर दिया गया है कि किसान अब अपने फसल की हिफाजत क्र सकेंगे। क्योंकि अब किसान नीलगाय (घोड़परास) और जंगली सुअरों को मुखिया की अनुमति से मार सकेंगे।
पंचायती राज विभाग ने जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण एवं वन विभाग के इस प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि किसानों के नुकसान को बचाने को ध्यान में रखते हुए विभाग ने इसकी मंजूरी दी है। अभी जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण एवं वन विभाग के मुख्य वन्यप्राणी प्रतिपालक मारने की अनुमति देने के लिये प्राधिकृत हैं। पंचायती राज मंत्री ने कहा कि खेती और बागवानी के फसलों को नुकसान पहुंचाने से रोकने के लिये वन्यप्राणी (संरक्षण) अधिनियम 1972 की धारा 4(1) सी के तहत यह अधिकार मुखिया को दिया जा रहा है।
पंचायती राज विभाग की ओर से जारी इस अनुमति के बाद जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण एवं वन विभाग अब इस संबंध में आदेश जारी करेगा। कोई भी मुखिया अब अपने पंचायत की सीमा के अंदर लगे फसल के हिसाब से तत्काल निर्णय ले सकेगा, जिससे बर्बाद करने वाले दोनों पशुओं घोड़परास और जंगली सुअर को मारने में सहूलियत होगी।