mandal diwas
mandal diwas

जेल से बहार आने के 2 महीने बाद से लालू यादव अचानक राजनितिक गलियारों में काफी सक्रिय होते दिख रहे है। जहाँ एक तरफ लालू यादव लगातार किसी न किसी नेता से मिलते दिख रहे है तो वही दूसरी ओर विरासत को संभाल रहे राजद गुट से नेता प्रतिपक्ष तेजश्वी यादव ने राज्य भर में 7 अगस्त को प्रदर्शन कार्य करने का ऐलान किया है। हालांकि जाती जनगणना के तहत राज्य भर में सत्तारूढ़ व विपक्षी दल सहित सभी एक साथ है फिर भी तेजश्वी अलग प्रदर्शन कार्य करने कि तैयारी में दिख रहे है।

आपको बता दें कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री नितीश कुमार से RJD के नेताओ की मुलाकात हुई थी, उस मुलाकात में लगातार एक ही विषय पर चर्चा की गई जो की जाती जनगणना पर आधारित थी। मीटिंग के बाद नितीश ने इस बात कि पुष्टि भी की थी कि वह प्रधानमंत्री मोदी से जाती जनगणना पर बात करेंगे जिसके लिए वह पहले लिखित में उनसे मिलने की तारीख़ तय करेंगे। जानकारी के अनुसार उन्होंने 2 अगस्त को पत्र लिखा भी था और अब जल्द एक दिन तय होगी जब बिहार से एक प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री से इस विषय पर बात करेंगे। लेकिन फिर भी तेजश्वी यादव अपने विरोध प्रदर्शन को रोकने के फ़िराक में नहीं दिख रहे।

दरअसल यहाँ एक नया मुद्दा उठता दिख रहा है, जहाँ एक तरफ़ बिहार की राजनीती जाती जनगणना के लिए लगातार मांग कर रही है वहीं दूसरी ओर केंद्र में जनसंख्या नियंत्रण की बात हो रही मगर जाती जनगणना को सीधे तौर पर मना कर दिया गया है। इसी बिच 7 अगस्त को मंडल दिवस के अवसर पर आरजेडी अपनी पार्टी को धार देने के फिराक में नज़र आ रहे है। चूँकि 1990 के दौर में जब लालू यादव सत्ता में थे तब संसद में मंडल की शिफारिशों को अनुमति दे दी गयी थी जो की उस दौर में लालू की मांग पूरी होने से बड़ी जीत थी। मांग इस बात कि थी की पुरे देश में पिछड़े वर्गो को 27 प्रतिशत आरक्षण मिलनी चाहिए। हालाँकि इसके बाद पुरे बिहार में काफ़ी बवाल खड़ा हुआ था पर लालू यादव को इससे उनकी राजनितिक आजीविका में काफी फ़ायदा हुआ था।

अब जब लालू यादव वापस अपने फॉर्म में आते दिख रहे है तो तेजश्वी के जाती जनगणना के साथ वापस से मंडल कमीशन लागू करने को लेकर भी मुद्दा उठाया जायेगा। आखिर 7 अगस्त यानि कि मंडल दिवस के ही दिन प्रदर्शन करने का और क्या ही कारण हो सकता है? लालू की राजनीती में तेज़ी से वापसी करने से क्या और भी कोई छुपा कारण सामने आएगा ?