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बिहार के 543 स्कूलों में पिछले 1 साल से कोई परीक्षा नहीं। कैसे पास होंगे बच्चे ?

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केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के दसवीं रिजल्ट असेसमेंट से फ्लाइंग छात्रों को परीक्षा दिलवाने वाले स्कूलों की पोल खुल रही हैं। स्कूल के पास फ्लाइंग छात्रों के साल भर के परीक्षा का कोई रिकॉर्ड नहीं है। ऐसे में इन छात्रों का रिजल्ट तैयार करने में परेशानी आ रही हैं। यह स्थिति कोई एक स्कूल की नहीं बल्कि सीबीएसई से मान्यता प्राप्त सैकड़ों स्कूलों की है। 

सीबीएसई सूत्रों की मानें तो अभी तक 543 स्कूलों से पांच हजार छात्रों को पकड़ा जा चुका है। इनमें छोटे शहर रोहतास, दरभंगा, मुंगेर, सीतामढ़ी, सीवान, सहरसा, मधुबनी, शेखपुरा आदि शामिल हैं। इसके अलावा पटना के आसपास दानापुर, दनियावां, दुल्हिनबाजार, मसौढ़ी आदि के स्कूल भी पकड़ में आये हैं। ज्ञात हो कि हर साल दसवीं और 12वीं में सैकड़ों विद्यार्थी फ्लाइंग छात्र (नॉन एटेंडिंग) के तौर विभिन्न स्कूलों से फार्म भरते हैं। ऐसे  विद्यार्थी को केवल स्कूल फार्म भरवाते हैं। इसका कोई भी रिकॉर्ड स्कूल के पास नहीं होता है। ऐसे में अभी दसवीं के रिजल्ट तैयार करने में मुश्किलें आ रही हैं, क्योंकि इन छात्रों ने स्कूल की कोई भी परीक्षा नहीं दी है। यहां तक की प्री-बोर्ड में भी शामिल नहीं हुए हैं। अब अगर इन छात्रों की दोबारा स्कूल ऑनलाइन या फोन से परीक्षा ले रहे हैं तो ऐसे स्कूल पकड़ में आ रहे हैं। सीबीएसई सूत्रों की मानें तो एक-एक स्कूल में सौ से दो सौ विद्यार्थी की ऑनलाइन परीक्षाएं ली जा रही हैं। ऐेसे में जांच किया गया तो पाया गया कि ये स्कूल के नियमित छात्र नहीं हैं। ऐसे छात्रों की सूची बोर्ड तैयार कर रहा है।

हजारों छात्र होते हैं शामिल 
सीबीएसई की मानें तो 2019 में बीस हजार और 2020 में 30 हजार छात्र फ्लाइंग के तौर पर बिहार के विभिन्न स्कूलों से फॉर्म भरे थे। सीबीएसई सहोदया पाटलिपुत्र कांप्लेक्स के अध्यक्ष राजीव रंजन की मानें तो ऐेसे छात्र साल भर स्कूल नहीं करते हैं। ये स्कूल परीक्षा में भी शामिल नहीं होते हैं। इसका बुरा असर अच्छे स्कूलों पर पड़ता है।

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