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फसल जलाने की समस्या और मिट्टी से कार्बन की कमी की समस्या से निजात पाने के लिए अब सरकार पुवाल से बायोचार बनाने जा रही है। इसकी सुरुवात सबसे पहले रोहतास ,बक्सर ,आरा और कैमूर से होगी। सरकार अब फसल अवशेष से बायोचार का उत्पादन करेगी।

कृषि विभाग खरीफ का धान कटते ही फसल के सारे अवशेष पुवाल को खरीदकर केवीके को देकर बायोचार का उत्पादन शुरू करा देगा। केवीके के लिए बिहार सरकार करीब एक लाख लागत वाली भट्टी स्थापित करेगी।

बायोचार किसानों को खेत में मिलाने के लिए निशुल्क वितरित किया जायेगा. योजना के मुताबिक कृषि विभाग चयनित जिलों में खरीफ का धान की फसल कटते ही पुआल खरीदकर चारों जिलाें के कृषि विज्ञान केंद्रों को उपलब्ध करा देगा.

केविके भट्ठी में इसे जलायेंगे. 400 डिग्री तापमान पर पुआल को अवशेष में बदल दिया जायेगा. यह अवशेष ही बायोचार है. एक क्विंटल पुआल में करीब 60 किलो बायोचार मिलेगा. फसल अवशेष (पुआल आदि) को खेतों में ही जलाकर नष्ट करने की 16 जिलों में समस्या अधिक है.

मालूम हो कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में फसल अवशेष जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने के आदेश दिये हैं. पुआल जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए किस विभाग ने किस स्तर पर कितना- कितना काम किया इसकी रिपोर्ट सरकार द्वारा नियमित मांगी जा रही है.

निगरानी के लिए कृषि विभाग के सहायक निदेशक (शष्य) को फसल अवशेष जलाने की घटनाओं के फोटो- नक्शा आदि एकत्रित कर कार्रवाई के लिए नोडल अधिकारी पहले ही नियुक्त किया जा चुका है.