नितीश सरकार गांवों में गोबर से मिथेन गैस बनाने की फ़िराक में हैं। इसके लिए प्रत्येक जिले में एक प्लांट स्थापित किया जाएगा। हर प्लांट में जिले के किसानों से गोबर खरीदकर लाया जाएगा। और इससे मिथेन गैस बनाकर उसे पुन: गांव में ही सप्लाई करवाया जाएगा। गोवर्धन योजना के तहत गोबर से गैस बनाने का काम शुरू किया जायेगा। इसके तहत प्रत्येक जिले में गैस प्लांट लगाने की जिम्मेवारी एजेंसी को दी जाएगी।
बता दें, एजेंसी हर जिले में प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित करेगी। एजेंसी चयन के लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू हो गई है। और आने वाली 5 तारीख (पांच मार्च) तक एजेंसी का चयन कर लिया जाएगा। इसके बाद इस दिशा में काम शुरू कर दी जाएगी।
गोवर्धन योजना के तहत गांवों के किसानों या अन्य लोगों से गोबर की खरीद की जाएगी। लेकिन अभी तक इसकी कीमत तय नहीं की गयी है। प्रोसेसिंग प्लांट के लिए भूमि का चयन करने की जिम्मेदारी स्थानीय जिला प्रशासन की होगी। वर्तमान में ज्यादातर जिलों में इस पर काम भी शुरू कर दिया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में 2025 तक सभी जिलों में गोबर गैस के प्रोसेसिंग प्लांट से उत्पादन शुरू हो जाएगा। इस गैस से रोशनी के प्रबंध के अलावा भोजन बनाने के लिए सिलेंडर भी तैयार किए जाएंगे। इसके लिए मार्च के पहले सप्ताह तक टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
एजेंसी का चयन हो जाने के बाद प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित करने का काम शुरू किया जायेगा। तकनीकी विशेषज्ञों का कहना है कि एक किलो गोबर से दो किलोग्राम मिथेन गैस तैयार की जा सकती है। लेकिन यह तभी होगा, जब गोबर से गैस बनाने की प्रोसेसिंग सही तरीके से की जाए। प्रोसेसिंग के लिए सभी प्लांटों पर तकनीकी विशेषज्ञ रहेंगे, जो गैस उत्पादन से लेकर सिलेंडर में रिफिलिंग तक का काम कराएंगे। प्रोसेसिंग प्लांट से निकले कचरे से वर्मी कंपोस्ट बनाया जाएगा।
मालूम को कि, प्रदेश में ढाई करोड़ से अधिक पशुओं की संख्या है। जिसमें अधिकतम गाय हैं। प्रदेश में एक करोड़ 53 लाख 97 हजार से अधिक गाय हैं, जबकि भैंसों की संख्या 77 लाख 19 हजार से भी अधिक है। और वहीं एक पशु 24 घंटे में औसतन 15 किलोग्राम गोबर देता है। गोबर को एकत्रित करने की जिम्मेदारी एजेंसी को होगी। इसके लिए शहर में स्थापित प्रोसेसिंग प्लांट से लेकर गांव तक व्यवस्था की जाएगी।
प्रत्येक वार्ड में ड्रेनेज सिस्टम बनाया जाएगा जिससे गांव स्वच्छ एवं सुंदर दिखे। इसके लिए लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम लागू किया जाएगा। गांवों के प्रत्येक वार्ड में तीन से चार वेस्ट स्टेबलाइजेशन पौंड (तालाब) बनाया जाएगा। घरों से निकलने वाले गंदा पानी को वेस्ट स्टेबलाइजेशन पौंड (तालाब) तक पहुंचने के पहले तीन लेयर में पानी का शुद्धिकरण किया जाएगा। घरों के गंदा पानी को शुद्ध कर उसे तालाब में गिराया जाएगा, जिससे गांव में जलस्तर भी सही रहेगा।
बता दें कि, इसके लिए प्रत्येक जिले में प्लान बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। पटना जिले में तीन चरणों में पंचायतों में यह काम शुरू होना है। पहले चरण में 64 पंचायत, दूसरे चरण में 140 तथा तीसरे चरण में भी 140 पंचायतों का चयन किया गया है। ठोस कचरा से वर्मी कंपोस्ट बनाया जाएगा।