बता दें कि फिलहाल जीतनराम मांझी के बयान सुनने के बाद से बिहार की सियासत बेहद गरमाई हुई है। जहां एक तरफ बिहार में सरकार बच्चो को राम और रामायण की जानकारी प्रदान करवाना चाह रही है। वहीं दूसरी ओर बिहार के राजनीतिक गलियारों में राम के नाम पर लड़ाई छिड़ गई है। दरअसल हम बात कर रहें भाजपा विधायक हरी भूषण ठाकुर और बिहार राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री व हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रिय अध्यक्ष जीतनराम मांझी के बिच चल रही विवादित बहसबाज़ी के बारे में।
हाल ही में मध्य प्रदेश की सरकार ने राज्य के इंजीनियरिंग एवं मेडिकल कॉलेजों के पहले साल की पढाई में बच्चो के लिए एक ऑप्शनल पेपर सिलेबस में जोड़ा है। जिसको ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार भी रामायण-महाभारत की किताबों को बिहार के स्कूल और कॉलेजों की पढ़ाई में शामिल करने की मांग कर रही है। इसी मुद्दे पर जब जीतन राम मांझी से पूछा गया कि ‘क्या बिहार के स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम में रामचरितमानस और रामायण की पढ़ाई शामिल करनी चाहिए? तो उसी पर मांझी ने जवाब दिया कि राम कोई जीवित महापुरुष थे ऐसा में नहीं सोचता। रामायण की कहानी को भी सच नहीं मानता लेकिन रामायण में कही गई बातों का समर्थन ज़रूर करता हूं।”
इसी बात पर, मौके का फ़ायदा उठाते हुए बिहार भाजपा नेता हमलावर बन गए है। मिली जानकारी के अनुसार,इस मुद्दे पर बिहार भाजपा पार्टी के विधायक हरी भूषण ठाकुर बचौल ने जीतनराम मांझी पर पलटवार करते हुए उनसे सवाल पूछा है कि “आपके नाम में “राम” क्यों है? आपका नाम जीतन राक्षस मांझी क्यों नहीं है। इसका जवाब दीजिए मांझी जी।” यहां तक की भूषण ठाकुर ने यह भी कहा कि “नाम को जीतन राम मांझी रखने का मतलब है कि उनके माता-पिता भी राम का अस्तित्व मानते थे.” ठाकुर का मानना है कि मांझी चंद वोटों की खातिर सेकयूलर बनने की कोशिश कर रहे हैं।