केंद्र सरकार की कोशिश से अब बिहार में गिरि, जागा, मल्लिक व सूर्यापुरी जातियों की अति पिछड़ा राज्य में शामिल होने की राह आसान हो गई है। इनमें गिरि, जागा, मल्लिक व सूर्यापुरी शामिल हैं। राज्य में गिरि व जागा जातियां पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल हैं जबकि मल्लिक व सूर्यापुरी इनमें शामिल नहीं है। सूर्यापुरी की आबादी किशनगंज में अधिक है। मल्लिक जाति को पिछड़ा वर्ग में शामिल किया गया था, जिसे बाद में हटा दिया गया। इन जातियों को अति पिछड़ा वर्ग में शामिल करने के लिए नई व्यवस्था के तहत सुविधा होगी।
अभी बिहार में पिछड़ा जाती अवं अति पिछड़ा आयोग फिलहाल सक्रीय नहीं है। इसका अभी तक फिर से घटन नहीं किया गया है। अति पिछड़ा वर्ग आयोग अति पिछड़ी जातियों से जुड़े मामलों पर कार्रवाई करती है जबकि अन्य पिछड़ा वर्गो के लिए राज्य आयोग के तहत पिछड़ी जातियों से जुड़े मामलों पर कार्रवाई की जाती है। बिहार में 144 जातियां ओबीसी के तहत आती है। जिनमें 113 जातियां अति पिछड़ा वर्ग एवं 31 जातियां पिछड़ा वर्ग के तहत आती हैं।प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने कहा कि इस विधेयक से राज्यों को अधिकार दिया जा रहा है कि वह ओबीसी का वर्गीकरण अपने हिसाब से कर ले। सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश से राज्यों का यह अधिकार छिन गया था। चूंकि हर राज्य में अलग-अलग जातियां अलग-अलग कोटि में आती हैं। मसलन, क्षत्रीय गुजरात में एसटी है तो बिहार में सामान्य। महाराष्ट्र सरकार की ओर से लिए गए निर्णय के आलोक में सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था जिस तरह एससी-एसटी का फैसला आयोग करता है, उसी तरह पिछड़ी जातियों को भी ओबीसी आयोग ही तय करेगा। पर इससे परेशानी उत्पन्न हो रही थी। साथ ही लंबी प्रक्रिया के कारण लंबा समय लग जाता। इसे देखते हुए केंद्र सरकार ओबीसी विधेयक लाई है।
केंद्र सरकार के इस पहल से अति पिछड़ा जातिया को अब पिछड़ा वर्ग में शामिल किया जा सकता है। आज के पहले भी ये अधिकार राज्य को था लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक मामले के बाद नई जातियों को obc में शामिल होने की राह आसान हो गई है।