कांग्रेस बिहार मे एक बहुत बड़े बदलाव का फैसला लगभग तय हो चूका है। बिहार की जातीय रणनीति और बदलाव को देखते हुए कांग्रेस के आलाकमान राहुल गाँधी ने फैसला लिया है की बिहार के प्रदेश अध्यक्ष सवर्ण चेहरे की छुट्टी कर दी जाएगी और उनकी जगह नए प्रदेश अध्यक्ष होंगे दलित विधायक राजेश राम। इसकी घोसणा कभी भी कांग्रेस के आलाकमान कर सकते हैं। कांग्रेस इसके जरिये दलित वोट बैंक राजनीति करना चाह रही है। राजेश राम औरंगाबाद के कुटम्बा जिले विधायक हैं।
कंग्रेस आलाकमान बिहार में बड़े बदलाव पर काम कर रहा है. बिहार कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के बदलने के साथ इस बार जंबो कमिटी बनाने की तैयारी है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस बार 8 कार्यकारी अध्यक्ष बनाये जाएंगे. इससे पहले अध्यक्ष के अलावा बिहार में 4 कार्यकारी अध्यक्ष बनाये गए थे, जिसे बिहार के अलग-अलग क्षेत्रो की जिम्मेदारी दी गई थी. इस बार बिहार को 8 जोन में बांटकर 8 कार्यकारी अध्यक्ष बनाये जाने की तैयारी है. इसके साथ ही उपाध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों की लंबी फौज तैयार की गई है. बताया जा रहा है कि 100 से ज्यादा पदाधिकारी इस बार बनाये गए हैं जिसे बिहार में कांग्रेस की जमीन मजबूत करने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी.
बिहार की वर्त्तमान राजनीति और दलित वोट समीकरण को देखते हुए कांग्रेस की निगाह उसे साधने की है। यही कारण है कि कांग्रेस आलाकमान ने सबसे पहले सवर्ण बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल को हटाकर दलित चेहरा भक्त चरण दास को बिहार प्रभारी बनाया. भक्त चरण दास ने बिहार प्रभारी बनने के बाद पूरे बिहार का भ्रमण किया और कांग्रेस आलाकमान को रिपोर्ट सौंपी. रिपोर्ट के आधार पर दलित चेहरे राजेश राम को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपे जाने की बात लगभग तय हो चुकी है.
बिहार में दलित वोट बैंक 16 फीसदी है जो की किसी भी पार्टी को चुनाव में अच्छे परिणाम दिला सकते हैं। कांग्रेस इस बार भी अपनी खोई हुई जमीं बिहार में जातीय समीकरण को निशाना बना कर साधने की कोशिश में लग चूका है।