andhi sadbhavna diwas
andhi sadbhavna diwas

“मैं ये पूरी गंभीर प्रतिज्ञा लेता हूँ कि मैं जाति, क्षेत्र, धर्म और भाषा को बिना ध्यान दिये भारत के सभी लोगों की भावनात्मक, एकात्मकता और सद्भावना के लिये कार्य करुँगा। और मैं कसम खाता हूँ कि बिना हिंसा के संवैधानिक साधनों और बातचीत के द्वारा एक-दूसरे के बीच की दूरियों को अवश्य समाप्त कर दूँगा।”

इन्हीं शब्दों के साथ भारत के नौवे प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने शपत लिया था कि वह दुसरो के हित के लिए काम करेंगे। आज के दिन यानि 20 अगस्त के दिन को लोग उनकी याद में गुजरते है। राजीव गाँधी की स्मृति में प्रत्येक वर्ष आज ही के दिन को ‘सद्भावना दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। आपको बता दें कि आज के दिन को “समरसत्ता दिवस” एवं “राजीव गांधी अक्षय ऊर्जा दिवस” के नाम से भी पुकारा जाता है। आज के ही दिन 1944 में भारत के दिवंगत भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी पैदा हुए थे। आपको बता दें कि उनका पूरा नाम ‘राजीव रत्न गाँधी’ था। जो भारत के सबसे पहली पार्टी यानि की कांग्रेस पार्टी के अग्रणी महासचिव सं 1981 से अपने मृत्यु के समय तक थे। राजीव गांधी अपनी माँ इंदिरा गाँधी (भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री) की हत्या के बाद सं 1984 से 1989 तक प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्त हुए थे।

राजीव गांधी देश के पहले प्रधानमंत्री और स्वतंत्रता सेनानी पंडित जवाहरलाल नेहरू के होते थे। राजीव गांधी कैंब्रिज में अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे थे जब उनकी मुलाकात एंटोनिया मैनो से हुई थी। पढ़ाई पूरी कर राजीव गांधी ने एंटोनिया मैनो से विवाह कर ली और जिनका नाम विवाह के बाद बदल दिया गया। आज पूरा देश उन्हे सोनिया गांधी के नाम से जानता है। उस दौर मैं राजनीति परिवार के सबसे पढ़े लिखे व्यक्ति थे राजीव गांधी। उन्हे शुरू से ही राजनीति में रुचि नहीं थी, दूसरे देशों से पढ़ाई पूरी कर भारत को लौट राजीव गांधी इंडियन एयरलाइंस में काम करना शुरू कर दिए। मगर फिर किस्मत को उनकी कुछ और ही मसूर था।

राजनीतिक आरुषि के बावजूद राजीव गांधी को अपनी मां इंदिरा गांधी के आदेश पर राजनीतिक जीवन शुरू करना पड़ा। 1981 में अमेठी से उन्होंने पहला चुनाव जीता और लोकसभा में जा पहुंचे। लेकिन फिर भी राजी राजनीति से ज्यादातर बाहर ही रहा करते थे मगर एक शक्तिशाली राजनीतिक खानदान से ताल्लुक रखने का नुकसान भी उन्हें भुगतना पड़ा। सन 1980 में एक वायुयान दुर्घटना में राजीव गांधी के छोटे भाई संजय गांधी की मृत्यु हो गई। जिसके बाद से ही इंदिरा गांधी ने राजीव गांधी को राजनीतिक जीवन में पूर्ण रूप से शामिल कर दिया। भाई के मृत्यु के ठीक 1 साल बाद राजी युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बन गए। जिस प्रकार के हालात आते गए वैसे-वैसे कर राजीव गांधी का राजनीति और शासन व्यवस्था में प्रवेश होता गया। भाई की मृत्यु के 4 साल बाद मां इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई। राजीव अकेले पड़ गए मगर हौसला कभी नहीं हारे। इंदिरा गांधी के अचानक हत्या के बाद देश की डावाडोल होती राजनीतिक परिस्थितियों को संभालने के लिए राजीव गांधी को प्रधानमंत्री बनाया गया। प्रधानमंत्री के पद पर बैठ उन्होंने कई सारे आधुनिक कार्य भी किए।

देश संभल ही रहा था फिर फिर वह दिन आया जब राजीव गांधी की भी अपने भाई और मां की तरह मृत्यु हो गई। 21 मई 1991 के दिन, तमिलनाडु में चुनाव प्रचार के दौरान राजीव गांधी पर आत्मघाती हमला करवाया गया। सुबह करीबन 10 बजे जब राजीव गांधी स्टेज पर स्पीच दे रहे थे तब एक महिला उनसे मिलने स्टेज पर चढ़ी। बस महिला ने राजीव गांधी के पांव छूने के लिए जैसे झुकी कि उसके शरीर में लगा आरडीएक्स बॉम्ब फट गया। इस हमले में राजीव गांधी की तत्काल मृत्यु हो गई और पूरे देश में मातम मच गया। राजीव गांधी और सोनिया गांधी के 2 बच्चे है, बेटा राहुल गांधी और बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा। आज कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता उनके बेटे राहुल गांधी ही संभाल रहे है।

राजीव गांधी इकलौते ऐसे राजनीतीकार थे जिन्होंने भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का सपना देखा था। उनके द्वारा देश के लिये किये गये कई सामाजिक और आर्थिक कार्यों के द्वारा ही भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के दृष्टिकोण को साफतौर पर देखा जा सकता है। उनकी वर्षगाँठ पर देश के विकास के लिये दिये गये उनके भाषणों के उत्साहयुक्त और प्रेरणादायी शब्द हमेशा याद किये जाते हैं। उनका कहा गया एक-एक शब्द बहुत प्रेरणादायी होता था, जो देश के युवाओं को भारत का नेतृत्व करने के लिये आज भी प्ररित करता है।