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हाल ही में एमएलसी चुनाव के दौरान आरजेडी को भूमिहार बिरादरी का अच्छा साथ मिला था। अब पार्टी की नजर ब्राह्मणों पर है, जिनकी बिहार में करीब 6 फीसदी आबादी है। ब्राह्मणों की आबादी भले ही बहुत ज्यादा ना हो, लेकिन शिक्षा और सामाजिक स्तर पर ये काफी प्रभावशाली हैं। इन्हें ‘ओपिनियन मेकर्स’ के तौर पर भी देखा जाता है।

आरजेडी के नेता और कार्यकर्ता परशुराम जंयती को इस बार काफी धूमधाम से मनाने की तैयारी में हैं, जिसे ब्राह्मणों को खुश करने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। इतना ही नहीं एक नया नारा भी दिया गया है, बाभन (ब्राह्मण) के चूड़ा, यादव के दही, दुनू मिली तब बिहार में सब होई सही।

आरजेडी की ओर से ब्राह्मणों को लुभाने का प्रयास इसलिए भी दिलचस्प है, क्योंकि कभी पार्टी पर ‘भूरा बाल साफ करो’ का नारा देकर गैर सवर्ण जातियों को गोलबंद करने का आरोप लगा था। 90 के दशक से पहले कई ब्राह्मण मुख्यमंत्री दे चुके बिहार में सवर्णों के दबदबे की पृष्ठभूमि आए इस नारे का मतलब था, भ से भूमिहार, रा से राजपूत, बा से ब्राह्मण और ल से लाला (कायस्थ) था। हालांकि, बाद में आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने अपनी आत्मकथा में इस पर सफाई देते हुए लिखा कि उन्होंने यह नारा नहीं दिया था। उन्होंने इसके लिए मीडिया पर ठीकरा फोड़ा था।

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