साल भर से शिव भक्त सावन महीने का इंतजार करते हैं। और जिसका आरंभ आज से शुरू हो गया है। 14 जुलाई को भगवान शिव का प्रिय महीने सावन की शुरुआत हो गयी है। सावन के पहले दिन शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ी हुई है। आम मंदिरों से लेकर पौराणिक शिव मंदिरों में भक्त लाइन में लगे हुआ हैं। इसी बीच देवघर के बाबा वैद्यनाथ मंदिर में पहले ही दिन बाबा वैद्यनाथ की पहली पूजा 55 मिनट तक हुई।
बाबा वैद्यनाथ के मंदिर में चली यह पूजा सुबह 3 से शुरू हुई जो 4 बजे तक चली। इसके बाद बाबा के दरबार में भक्तों के जल चढ़ाने का सिलसिला शुरू हो गया है। पंडा द्वारा बाबा के इस 1 घंटे की पूजा में सबसे पहले पंडा समाज के द्वारा काचा जल चढ़ाकर बाबा को ठंडा करने की परम्परा है। बाबा को काचा जल चढ़ाकर उनसे पूजा अर्चना के लिए अनुमति ली जाती है। और इसके बाद ही बाबा वैद्यनाथ की सरदारी पूजा की गयी।
आपको बता दें कि सावन के पहले दिन बाबा को चंदन के लेप के साथ विभिन्न प्रकार के सुगंधित पुष्पों के साथ बेलपत्र अर्पित किया गया। 28 मिनट तक चली सावन की पहली सरदारी पूजा में बाबा की विधिवत मंत्रोच्चार के साथ उपासना की गई। और फिर आम भक्तों की पूजा सुबह 4 बजे से शुरू हुई।
आपको बता दें कि कोरोना वायरस के कारण पिछले दो सालों से देवघर सहित देश के कई शिव मंदिरों को भक्तों के लिए बंद कर दिया गया था। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य और केंद्र सरकार ने यह फैसला लिया था। लेकिन अब कोरोना संक्रमण के घटते मामलों के मद्देनजर भक्तों भक्तों के लिए देवघर के वैद्यनाथ मंदिर को खोल दिया गया है।
आज से भागलपुर के सुल्तानगंज से शिव भक्त जल उठा कर देवघर की ओर निकलेंगे। जहां 500 रुपए शुल्क देकर भक्त बाबा के शीघ्र दर्शन कर सकेंगे। यह सुविधा रविवार और सोमवार बंद रहेगी। साथ ही आपको बता दें कि 12 किमी दूर से बाबा के दर्श के लिए लाइन लगाई जाएगी। और 100 मीटर की दूरी से अरघा से बाबा के ऊपर होगा जलार्पण। बता दें कि इस बार 55 से 60 लाख श्रद्धालुओं के इस सावन महीने में पहुंचने की संभावना है। और 500 से अधिक सीसीटीवी कैमरे से मेला परिसर की निगरानी की जाएगी। जिसकी शुरुआत आज से हो गयी है। जिसका उद्घाटन बिहार के डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद ने किया। इसी के साथ आज सुल्तानगंज में कावरियों का उत्साह बढ़ाने के लिए हंसराज रघुवंशी आ रहे हैं। जिसके बाद पूरा भागलपुर शिव भजन से गूंजेगा। और आज से पूरे 1 महीने तक बिहार-झारखंड में केवल ‘बोल बम’ की गूंज सुनाई देने वाली हैं।