भारत और भ्रष्टाचार का एक ख़ास संबंध है। दोनों शब्द कहीं न कहीं एक दूसरे से जुड़े हुए और एक दूसरे से बेहद करीब माने जाते है। क्यूंकि, यह कोई नई बात नहीं जब देश में किसी बड़े अधिकारी के नाम पर उनके ओहदे संग किसी प्रकार का भ्रष्टाचार का किस्सा भी ना जुड़ा हो। जी हाँ! हम बात कर रहे अपने प्रदेश राज्य बिहार की। जहां शिक्षा क्षेत्र के एक वरिष्ठ अधिकारी के 8 लाख घुस मांगने की ऑडियो और पिक्चर लीक हुई है।
बताते चलें कि यह वारदात बिहार राज्य में छठे चरण की शिक्षक बहाली प्रक्रिया के दौरान की है। जो कि 94 हजार सीटों के लिए दो चरण की काउंसिलिंग द्वारा की जा रही है उसी बिच की है जब अभ्यर्तीयों को नियुक्ति पत्र मिलने को है। ऐसे में कुछ बड़े पदों पर तैनात अधिकारियां मौके का फ़ायदा उठाने के लिए तैयार बैठे हैं। यहाँ हम बात कर रहे ख़ास तौर से मधेपुरा जिले के मुरलीगंज क्षेत्र के एक बीईओ की। दरअसल ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर उर्फ़ बीईओ साहब सूर्य प्रसाद यादव को उपर पारदर्शी तरीके से शिक्षक नियोजन कार्य करने की जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन वह नियोजन कार्य करने के बजाए सौदेबाज़ी करते पकडे गए है। बीईओ साहब की एक वीडियो इंटरनेट और सोशल मीडिया के द्वारा राज्य भर में वायरल हो रही है। वीडियो में देखने को मिल रहा की वह नियोजन के नाम पर बेरोजगार अभ्यर्थी से सौदा करते हुए 8 लाख का घूस मांग रहे हैं।
ऑडियो में पहले एक गुडडु नामक शख्स एक अभ्यर्ती को कॉल करता है और फिर जिले के बीईओ को फ़ोन मिला कर उसकी बात करवाता है। ऑडियो में पहले बीईओ साहब पहले अपनी सारी शर्ते रखते है। फिर बातचीत में कुछ ऐसे बातें बोलते है जिसमें उसने बीईओ रहते अपने सभी सगे संबंधियों को भी गलत तरीके से शिक्षक बनाया है इस बात का खुलासा हो गया है। इतना ही नहीं बल्कि बात बात में उन्होंने इस बात का भी खुलासा कर दिया की वह खुद भी लाखो पैसे घुस देकर अपना तबादला अपने मन मुताबिक करवाते आएं है।
ऑडियो में ऑडियो की पुष्टि पूर्ण रूप से नहीं हो पाई है। मगर यह साफ़ तौर से सुनने को मिल रही है कि बीईओ साहब फ़ोन में बोल रहे व्यक्ति से पैसे की मांग कर रहे हैं। और तो और वह कई ऐसे काले कारनामों के बारे में भी खुले आम बोलने लगे, जिससे बिहार शिक्षा विभाग को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे कई सारे काले चिट्ठे खुले हैं जिसमे विभाग के करप्शन की वारदात सबके सामने आ गई है। अब यहाँ सवाल यह खड़ा होता है कि क्या बिहार में पैसो के बल पर ही सभी सरकारी काम होते है ? और क्या नौकरी-पेशा में भी व्यक्ति का पहले पैसा देने की क्षमता देखा जाता है, उसकी क़ाब्लियत नहीं ?