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बिहार में बालू से अवैध कमाई करने वालों के खिलाफ सरकार पूरी तरीके से एक्शन में है। अब तक एसपी, एसडीपीओ, एसडीओ, सीओ, डीटीओ, एमवीआइ जैसे पदों पर बैठे कई अफसर इस कार्रवाई की गिरफ्त में आ चुके हैं। ऐसे अफसरों के खिलाफ निगरानी ब्‍यूरो के अलावा आर्थिक अपराध अनुसंधान इकाई की ओर से कार्रवाई की जा रही है।

लेकिन यहां की ईमानदारी में भी बेईमानी और भ्रटाचार ने घर बना ही लिया था। जो खुद ही भ्रष्‍ट हैं और भ्रष्‍ट अफसरों के लिए मुखबीर का काम करते हैं। भ्रष्टाचारियों को छापे की खबर पहले ही कर देते हैं। आर्थिक अपराध अनुसंधान इकाई को इसकी भनक लग गई और ऐसे दो अफसरों को पहचान लिया गया है।

भ्रष्टाचारियों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई करने वाली आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) के अंदर ही दो पुलिस अफसर ऐसे थे जो भीतर की बात बाहर पहुंचा रहे थे। इतना ही नहीं, दोनों पुलिस पदाधिकारी बालू के अवैध खनन मामले में फंसे अफसरों की भी परोक्ष और प्रत्यक्ष रूप से मदद पहुंचाने की कोशिश कर रहे थे। इस मामले में ईओयू के एडीजी नैयर हसनैन खान ने दोषी इंस्पेक्टरों नसीम अहमद और ललन कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। दोनों के विरुद्ध अनुशासनहीनता, घोर लापरवाही, संदिग्ध आचरण और अयोग्य पुलिस पदाधिकारी होने के आरोप में विभागीय कार्यवाही भी शुरू करने का आदेश दिया गया है। एडीजी ने पुलिस अधीक्षक को आरोप पत्र गठित कर अग्रतर कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।

ईओयू सिर्फ बाहर ही अपना काम नहीं कर रही बल्कि वहां तैनात अफसरों की भी निगरानी रखी जा रही है। खासकर बालू के अवैध खनन के बाद निगरानी बढ़ा दी गई है। इसी के बाद दोनों अफसरों की संलिप्तता सामने आई।