gayaji dam inauguration

बिहार में टूरिस्म के रूप में निखर कर सामने आने वाला गया आज दुनिया भर में अपनी अलग छवि बनाये हुए है। बौद्ध भिक्षुकों के आलावा बिहार का गया जिला दुनिया भर में पिंड दान के लिए भी जाना जाता है। जिसमें दुनियाभर से लोग यहां आते हैं और अपने पूर्वजों का पिंड दान करते हैं। लेकिन इस पिंडदान के लिए लोगों को फल्गु नदी में स्नान करना पड़ता है। लेकिन इस नदी के गिरते जलस्तर को देखते हुए कुछ साल पहले नीतीश कुमार ने गया वासियों से वादा किया था कि वे शापित फल्गु नदी (Falgu River) का उधार करेंगे और गिरते जलस्तर को ठीक करने के लिए काम होगा। यानि फल्गु नदी पर डैम बनाया जायेगा।

शापित फल्गु नदी पर डैम का सपना देख रहे नीतीश कुमार ने अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट (Dream Project) का कार्य साल 2020 में शुरू कर दिया था। और ये बिहार का पहला रबर डैम होगा। फल्गु नदी के देवघाट के समीप बनने वाले इस रबर डैम का निर्माण कार्य बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के द्वारा साल 2020 में 23 सितम्बर को ऑनलाइन शिलान्यास कर शुरू किया गया था। जिसके बाद कुछ बाद बिहार के पहले रबर डैम बनाने का कार्य शुरू हो गया।

रबर डैम के बन जाने से सालों भर फल्गु नदी में 3 से 4 मीटर पानी रहेगा। जिससे विष्णुपद मंदिर और पिंडदान करने आये श्रद्धालुओं को सालों भर पिंडदान, तर्पण और श्राद्धकर्म के लिए पानी मिलेगा। दरसअल, पितृपक्ष मेले के दौरान लाखों की संख्या में लोग गया पिंडदान करने आते हैं। वहीं, सालों भर देश-विदेश से पिंडदानियों के गया आने का सिलसिला लगा रहता है। ऐसे में उनकी सुविधा के लिए इस डैम का निर्माण कराया जा रहा था। जो अब बन कर पूरी तरह बन कर तैयार हो गया है।

लगभग 280 करोड़ रुपये की लागत से बना यह रबर डैम राज्य का पहला रबर डैम है जो शापित फल्गु नदी में सालो भर पानी तो रखेगा ही साथ ही आकर्षण का केंद्र भी होगा। लेकिन इससे पहले ये जानते हैं की ये रबर डैम होता क्या है ?

हैदराबाद की NCC कम्पनी के द्वारा बिहार में बन कर तैयार हुए रब्बर डैम का निर्माण साल 2020 में शुरू हो गया था। और साल 2022 के सितंबर तक इसके कार्य के पूरा होने की उम्मीद जताई गयी थी। जो की बन कर अब तैयार भी है। रबर डैम की तकनीक आस्ट्रिया, चीन और साउथ कोरिया में सालों से उपयोग में आ रही है। भारत में इस तकनीक से हैदराबाद, लखनऊ सहित कई जगहों पर डैम का निर्माण हुआ है।

देश में इस तकनीक का उपयोग सबसे पहले आंध्रप्रदेश में किया गया था। आंध्रप्रदेश के विजयनगरम जिले की झांझावती नदी पर साल 2006 में किया गया था। उस समय इस बांध को बनाने के लिए आस्ट्रिया के तकनीकी विशेषज्ञों की मदद ली गई थी। हालांकि, अब देश में इस तकनीक पर काफी काम हो चुका है। डायरेक्ट्रेट ऑफ वाटर मैनेजमेंट भुवनेश्वर के इंजीनियरों ने दो रबर बांधों का निर्माण स्वदेशी तकनीक पर किया है। रबर बांध का निर्माण छोटी नदियों पर किया जाता है। रबर बांध में स्पिल-वे का निर्माण नहीं किया जाता है। कंक्रीट की नींव पर एक रबर ब्लाडर ही बांध व स्पिल-वे दोनों का काम करता है। इस ब्लेडर में हवा, पानी या दोनों का मिश्रण भरा जाता है। इस ब्लेडर को एथेलिन प्रोपाइलिन डाइन मोनोमर रबर से बनाया जाता है। यह ब्लेडर बुलेट प्रूफ होता है। इसको जरूरत के मुताबिक बड़ा या छोटा किया जा सकता है। इसी तकनीक के कारण ही रबर बांध में स्पिल-वे की आवश्यकता नहीं होती है।

और अब बिहार में बन कर तैयार हुआ बिहार का पहला रबर डैम फल्गु नदी को उसके श्राप से तो मुक्त करेगा ही साथ ही टूरिज्म का हब भी बनेगा। जहां अब सालों भर पानी का स्टोरेज होगा, वहीं गर्मी के दिनों में गया शहर के जलस्तर में भी इस डैम के बनने से काफी सुधार होने की संभावना है।

जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने पिछले दिनों विष्णुपद मंदिर के पास बने रबर डैम का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि सीएम नीतीश कुमार ने इस रबर डैम का नाम ‘गयाजी डैम’ सुझाया है। मंत्री संजय झा ने बताया कि अब विष्णुपद मंदिर के पास फल्गू नदी में सालों भर जल उपलब्ध रहेगा। इससे यहां आने वाले श्रद्धालुओं को पिंडदान, स्नान और तर्पण करने में सुविधा होगी। डैम के निर्माण से भूजल स्तर में भी सुधार होगा। एक समय ऐसा था जब नदी में चापाकल लगाकर पानी निकालना पड़ता था। और पिंडदानियों को बड़ी परेशानी होती थी। लेकिन अब डैम के बनने से ये सारी परिशानियां दूर हो जाएंगी।

संजय झा ने यह भी बताया कि पहली बार परंपरागत कंक्रीट डैम की जगह पर आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रबर डैम बनाया गया है। इससे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। आईआईटी रूड़की के विशेषज्ञों की परामर्श को ध्यान में रखकर इसे तैयार किया गया है।

यहां मंदिर के 300 मीटर निम्न प्रवाह में फल्गू नदी के बाएं तट पर 411 मीटर लंबा, 95.5 मीटर चौड़ा और तीन मीटर उंचा डैम बनाया गया। सतही जल के प्रवाह को रोकने के लिए 1031 मीटर लंबाई में शीट फाइल और 300 मीटर में डायाफ्राम वॉल बनाई गई है। साथ ही विष्णुपद से दूसरी ओर सीता कुंड जाने के लिए 411 मीटर लंबा स्टील ब्रिज भी बनाया गया है।

बता दें कि 9 सितंबर से पितृपक्ष मेला महासंगम 2022 की शुरुआत होने जा रही है। और इस मेले के शुरू होने से ठीक एक दिन पहले गया के प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर के पास बने रबर डैम इसका नाम ‘गयाजी डैम’ रखा गया है उसका उद्घाटन होने जा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 8 सितंबर यानि आज फल्गू नदी पर बने ‘गयाजी डैम’ का उद्धघाटन करने जा रहे हैं। साथ ही आपको बता दें कि यह डैम बिहार का पहला और देश का सबसे बड़ा रबर डैम है। जिसके बनने के बाद फल्गू नदी में सालों-साल 4 फिट पानी रहेगा। जिससे गया आने वाले श्रद्धालुओं को पिंडदान में सुविधा होगी।

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