केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने 2021 राष्ट्रीय शिक्षा पुरस्कार के ऐलान कर दिए हैं। इस वर्ष देश भर से 44 शिक्षकों को नामित किया गया है। इसी कड़ी में बिहार के दो शिक्षक, मधुबनी के राजनगर स्थित राजकीय माध्यमिक विद्यालय (रांटी) की शिक्षिका चंदना दत्त और कैमूर जिले के रामगढ़ स्थित आरके मिडिल स्कूल (दहराक) के कार्यवाहक प्रधानाध्यापक हरिदास शर्मा को बिहार से राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2021 के लिए नामित किया गया है। 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस के मौके पर इन्हे राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद इन्हे एक पदक, प्रमाण पत्र और 50,000 रूपये इनामी राशि देकर सम्मानित करेंगे। इन दोनों का राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए चुना जाना राज्य के लिए किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है क्योंकि बिहार राज्य की साक्षरता दर देश के अन्य राज्यों के मुकाबले काफी कम है। यह ये दर्शाता है की बिहार में धीरे धीरे परिस्थितियां बदल रही हैं।
पुरस्कार के लिए नामित होने के बाद चंदना ने एक अखबार को दिए साक्षात्कार में बताया की जब साल 2006 में उन्होंने शुरुवात की थी तो शायद ही उनके विद्यालय में कोई लड़की थी। विद्यालय के लड़को से पूछे जाने पर की उनकी बहने स्कूल क्यों नहीं आती तो उनके पास कोई जवाब नहीं रहता था। यह चंदना की ही कोशिशों का नतीजा है की ग्रामीण जो पहले लड़कियों को स्कूल भेजने से पहले हिचकिचाते थे अब बड़ी संख्या में लड़कियों का नामांकन कराते हैं। चंदना बताती हैं की आज के समय में उनके स्कूल में 60% लड़कियां और 40% लड़के हैं। चंदना अपने माता पिता और ससुराल वालों की ऋणी है जिन्होंने हर वक्त उनका साथ दिया। चंदना मिथिला चित्रकार बिमला दत्त की बहु हैं जोकि छात्रों को कला की भी शिक्षा प्रदान करती हैं। चंदना को उनकी पुस्तक “गंगा स्नान” के लिए खूब सराहा जाता। उन्होने एक योगदानकर्ता के रूप में अन्य पुस्तकों में कहानियाँ और कविताएँ भी लिखी हैं।
दूसरी ओर, हरिदास शर्मा ने बच्चों को पढ़ाने का एक अलग तरीका खोज निकाला उन्होंने इमारतों को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए पिछले वर्ष राष्ट्रव्यापी तालाबंदी के दौरान आरके मिडिल स्कूल की दीवारों पर कई प्रकार के चित्र बना दिए। उनका कहना है की की बच्चों के दिमाग पर चित्रों का अधिक प्रभाव पड़ता है इसलिए उन्होंने दीवारें रंग दी। उन्होंने एक छोटे बगीचे में क्यूआर कोड के साथ पेड़ लगा रखे हैं। इसपर उनका कहना है आजकल ज़्यादा तर बच्चे आधुनिक हो चुके हैं और सबके पास स्मार्टफोन है। तो जिन बच्चों को पेड़ो की जानकारी चाहिए वे क्यूआर कोड स्कैन कर जानकारी पा सकते है। उन्होंने सभी कक्षाओं में भी क्यूआर कोड स्थापीत किये हैं जिनके नाम प्रसिद्ध स्वतंत्रा सैनानियों और भारतीय महापुरुषों के नाम पर रखे गए हैं। बचे इन्हे स्कैन कर उनके बारे में जान सकते हैं।उन्होंने बताया की हमारे पास दो समुदाय-आधारित स्मार्ट कक्षाएं भी हैं जो हमारे बच्चों को बेहतर शिक्षण अनुभव प्रदान करती हैं।