जीतन राम मांझी आज कल न तो वह शराब के पक्ष में हैं और न ही इसके विरोध में। मांझी ने एक बार फिर थोड़ी- थोड़ी शराब पीने की वकालत की है। शराबबंदी वाले बिहार में उन्होंने कहा है कि शराब दवा की तरह लीजिए। गया के डुमरिया में सोमवार को मांझी ने कहा, ‘ ‘एक बात और कहूंगा कि सुप्रीम कोर्ट और डॉक्टरों ने कहा है कि अगर दारू को दवा के रूप में पीया जाए तो उससे कोई नुकसान नहीं है।
आज इंजीनियर, डॉक्टर, एमपी, एमएलए, मंत्री, IAS, कलक्टर, जज सभी रात 10-11 बजे के बाद 50-50 हजार रुपये की शराब की बोतल वाली शराब गटकते हैं। पुलिस ऐसे लोगों को नहीं पकड़ती है। इसके बजाय कोई मजदूर अगर डुमरिया से आते वक्त रास्ते में एक पैग पीकर आ रहा होता है तो पुलिस उसे अरेस्ट कर लेती है। इसी वजह से मैं कहता हूं कि शराबबंदी के नाम पर गलत हो रहा है। गरीब तबका के लोगों केा जेल भेजा जा रहा है।’
उन्होंने शराब के मसले में पब्लिक के पाले में गेंद फेंक दी है। साथ ही सरकार को भी सोचने को विवश कर दिया है। यही नहीं, उन्होंने बड़ी ही चालाकी से शराब कितनी बुरी है इस बात को अपने घर से जोड़ कर लोगों को समझाया। लेकिन दूसरे पल ही उन्होंने यह भी कह दिया कि यदि देर रात अपने घर में थोड़ी-थोड़ी दवा के रूप में ले रहे हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं है और न ही यह गलत है। यही बात हम राज्य सरकार कह रहे हैं।