आज कल दुनिया भर में ड्रोन का इस्तेमाल कई लोग कर रहे हैं। चाहे कोई सौखिया तौर पर करें या फिर कमर्शियल इस्तेमाल। अब तो ड्रोन का इस्तेमाल सुरक्षा के लिहाज़ से भी काफी ज्यादा होने लगा है। देश दुनिया के साथ साथ बिहार में भी ड्रोन के व्यापक उपयोग हो रहे हैं। शादी विवाह हो या कोई कमर्शियल शूट ड्रोन इस्तेमाल हो रहा है। और साथ ही बिहार में शराब की खरीद बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगे इसके लिए भी ड्रोन का इस्तेमाल बिहार के प्रसाशन द्वारा हो रहा है। और अब इसी को देखते हुए बिहार में भी ड्रोन के व्यापक उपयोग पर मंथन होने लगा है। अगर इसे बढ़ावा मिले तो प्रदेश में ड्रोन गवर्नेंस का सपना साकार हो सकता है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश समेत देश के दर्जन भर राज्यों ने कृषि, वन, स्वास्थ्य, शहरी विकास, अपराध नियंत्रण, बिजली और दूसरे कई क्षेत्रों में व्यापक सुधार लाए हैं। साथ ही सरकारी सेवाओं को जनता तक सहज और सुलभ बनाया है। इसी तरह बिहार में भी कई क्षेत्रों में व्यापक सुधार आये इसीलिए उस दिशा में नीतिगत पहल हो रही है। जिससे बिहार में जब बाढ़ की समस्या उत्पन हो तो उस दौरान ग्राउंड रिपोर्ट से लेकर बिजली का फॉल्ट सुधारने और शराब माफियाओं को पकड़वाने के साथ बालू माफियाओं पर काबू हो सके।
केंद्र सरकार के ड्रोन नीति लाने और 2022-23 के केंद्रीय आम बजट में ड्रोन के बड़े पैमाने पर उपयोग के लिए प्रावधान करने के बाद राज्य में भी सर्विस डिलीवरी को सहज करने के लिए इसकी जरूरत महसूस की जाने लगी है। अभी 17 ड्रोन दियारा इलाके में अवैध शराब की टोह ले रहे हैं। सीमित स्तर पर टाल इलाके में भी दवाओं के छिड़काव में इसका उपयोग किया गया है। इसके अलावा स्वामित्व योजना के तहत जमीनों के नक्शे बनाने में भी सर्वे ऑफ इंडिया राज्य में इसका उपयोग कर रही है।
इसी तरह अगर बिहार में ड्रोन गवर्नेंस लागू हो जाता है तो राज्य के कई विभागों को इससे काफी मदद मिलेगी
मद्य निषेध विभाग को अवैध शराब के उत्पादन और आपूर्ति की निगरानी करने में।
खान विभाग को खनिजों वाले इलाके के भूगर्भ की स्थिति पता करने और बालू माफियाओं पर अंकुश लगाने में।
कृषि विभाग को फसलों पर दवाओं के छिड़काव करने में।
स्वास्थ्य विभाग को 10 किलोमीटर के दायरे में दवाओं और वैक्सीन के तुरंत पहुंचाने में ।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को जमीन के सर्वेक्षण और नक्शा आदि बनाने में।
नगर विकास विभाग को शहर में हो रहे अवैध निर्माण और जलजमाव अथवा ड्रेनेज सिस्टम की निगरानी में।
जलसंसाधन विभाग को नहरों में आ रहे पानी के प्रवाह और तटबंधों पर दबाव की नियमित निगरानी में।
आपदा प्रबंधन विभाग को बाढ़, सुखाड़, ओला, पाला आदि की स्थिति के आकलन और त्वरित कदम उठाने में।
पुलिस विभाग को दंगा, उपद्रव, भीड़, ट्रैफिक जाम आदि की स्थिति की निगरानी में।
ऊर्जा विभाग को बिजली की संचरण लाइन या आपूर्ति लाइन में फॉल्ट का पता करने और ठीक करने में भी इसका उपयोग किया जा सकता है।
वन विभाग को जंगलों में कटाई की निगरानी। आग लगने की स्थिति में बुझाने में।
अब अगर दूसरे राज्यों की बात करें कि वह ड्रोन के सहारे कितने आगे बढ़े हैं। तो बता दें, उत्तर प्रदेश में कृषि और स्वास्थ्य सेवाओं में व्यापक तौर पर उपयोग किया जा रहा है। मध्यप्रदेश में राज्य सरकार कुशल मानव संसाधन तैयार करने और व्यापक उपयोग को बढ़ावा देने के लिए पांच ड्रोन स्कूल खोलने की घोषणा कर चुकी है। उत्तराखंड में ड्रोन रिसर्च एंड एप्लीकेशन लैब स्थापित कर इसके उपयोग के नए-नए आयाम खोजे रहे हैं। वहीं तमिलनाडु की बात करें तो वहां बड़े पैमाने पर जंगलों और कृषि के लिए उपयोग किया जा रहा है। वैसे ही केरल में पुलिस विभाग की ओर से ड्रोन फोरेंसिक लैब की स्थापना कर अपराध अनुसंधान में ड्रोन के रिकॉर्ड का उपयोग किया जा रहा है। तेलंगाना में वैक्सीन पहुंचाने में उपयोग किया जा रहा है।