Home Bihar पायलट की सूझबूझ से टला बड़ा हादसा, लीक रही थी ऑक्सीजन

पायलट की सूझबूझ से टला बड़ा हादसा, लीक रही थी ऑक्सीजन

SpiceJet

पिछले दिनों पटना के एयरपोर्ट से एक फ्लाइट जैसे ही टेकऑफ हुई थी वैसे ही उसके इंजन में आग लग गया था। जिसके बाद पायलट की सूझबूझ से उसे सुरक्षित लैंड करवाया गया। एक बार फिर से एक ऐसा ही मामला सामने आया है। जिसमें पायलट की समझदारी के कारण एक बड़ा हादसा टला है। फ्लाइट्स में फ्यूजलेज डोर चेतावनी इसका मतलब होता है खतरे की घंटी। इस संकेत का मतलब यह होता है की फ्लाइट के अंदर ऑक्सीजन की कमी हो रही है।

यानी अगर आप इस फ्यूजलेज डोर चेतावनी को नजरअंदाज करते हैं तो इसका परिणाम काफी भयावह हो सकता है। ऑक्सीजन की यही कमी पटना से गुवाहाटी जा रहे विमान में शनिवार, 25 जून को उड़ान भरने से पहले आने लगी थी। भगवान की कृपा रही विमान ने रफ्तार नहीं पकड़ी थी, वरना एक बड़ा हादसा हो सकता था।

विमान के दरवाजे से ऑक्सीजन की लीकेज हो रही थी। पायलट ने कुछ सेकंड के अंदर है अपनी समझदारी दिखाते हुए विमान को रनवे पर रफ्तार भरने से पहले ही लौटा लिया और फिर एक बड़ा हादसा होने से इस को टाल दिया। यदि विमान ने टेक ऑफ कर लिया होता तो पटना के यात्रियों पर सांसों का बड़ा संकट होता। और वह ज्यादा देर तक यह सहन नहीं कर पाते और ऑक्सीजन की कमी से उनकी सांसे रुक सकती थी।

जब भी आपने विमान से यात्रा की होगी तो आपने यह देखा होगा कि विमान रनवे पर उड़ान भरने से पहले काफी ज्यादा रफ्तार में होती है। पटना एयरपोर्ट के रनवे से सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि रनवे खत्म होते हैं वहां से चंद कदम की दुरी पर ही एयरपोर्ट की चारदीवारी है। ऐसे में इमरजेंसी ब्रेक लेने के बावजूद विमान की चारदीवारी से टकराना तय था। दूसरी अगर पायलट ने टेकऑफ का विकल्प अपनाया होता तो हवा में ही विमान के भीतर ऑक्सीजन की घोर कमी से सब लोग की मौत हो जाती।

यानि अगर उड़ान के बाद विमान की लैंड करवाने में कम से कम 10 से 15 मिनट का समय लगता और इतनी देर में सांसो की किल्लत के बीच हवाई सफर कर रहे यात्री हमेशा के लिए सो जाते। लेकिन पायलट की सूझबूझ ने सभी की जान बचा ली और फ्लाइट को टेक ऑफ होने से पहले ही इस हादसे को टाल दिया।

आपको बता दें पिछले साल 17 नवंबर 2021 को स्पाइसजेट कि पटना-अहमदाबाद फ्लाइट जब 30 हजार फीट की ऊंचाई पर थी। तभी विमान के पायलट ने ईटीसी से संपर्क स्थापित कर विमान को सुरक्षित लैंडिंग कराया था। क्योंकि उस वक्त भी फ्लाइट के अंदर ऑक्सीजन लीकेज हो रहा था।

विमान के इंजन गर्म और हाई प्रेशराइज्ड हवा, जिसे ब्लीड एयर भी कहा जाता है। उसे कई स्टेप्स के बाद ठंडा कर केबिन में मौजूद हवा में मिक्स किया जाता है। इसे आउटफ्लो वॉल्व के माध्यम से क्या मन में छोड़ा जाता है। प्रेशर सेंसर केबिन में हवा के लेवल को मेंटेन करता है। इस प्रक्रिया के बाद ही 30 हजार फीट की ऊंचाई पर यात्रियों को सांस लेने में दिक्कत नहीं महसूस होती है। यात्रियों को विमान के भीतर जमीन जैसी ही हवा का दबाव महसूस होता है।

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