Home Bihar सीतामढ़ी में बनेगी माता सीता की भव्य प्रतिमा

सीतामढ़ी में बनेगी माता सीता की भव्य प्रतिमा

जिस मर्यादा पुरषोतम राम को उनके मर्यादा, पितृ स्नेह और प्रजा के लिए दिए गए बलिदानों के लिए भुलाया नहीं जा सकता, वैसे ही उनकी अर्धांगिनी, देवी सीता को भी उनके बलिदान और आत्म सम्मान की रक्षा के लिए उनकी अकेले लड़ी गयी लड़ाई को भी हम भूल नहीं सकते हैं। धरती से जन्मी और धरती में ही लीन हुई सीता ने कदम कदम पर अग्नि परीक्षा दी है। और शायद यहीं कारण है कि राम से पहले सिया का नाम लिया जाता है। और इसी सीता का जन्म स्थल बिहार में पड़ता है। जिस कारण बिहार की धरती और भी पावन कहलाती है। और अब इसी धरती को और पावन करने के लिए बिहार में माता सीता की विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा बनने जा रही है।

बिहार (Bihar) के मिथिला, जिसे आज हम सीतामढ़ी के नाम से जानते हैं वहां जन्मी देवी सीता को उनके त्याग, बलिदान और आत्म सम्मान के साथ साथ स्त्री और पतिव्रता धर्म का पूर्ण रूप से पालन के लिए पूजा जाता है। और अब इसी धरती पर माता सीता की विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाएगी। जिसकी घोषणा रामायण रिसर्च काउंसिल के संस्थापक और महासचिव कुमार सुशांत ने दी। उन्होंने बताया कि माता सीता की 251 मीटर ऊंची प्रतिमा स्थापित की जाएगी। माता सीता की विश्व में सबसे बड़ी प्रतिमा सीतामढ़ी (Sitamarhi) के रामायण रिसर्च काउंसिल में लगाई जाएगी।

देवी सीता को केवल राम की पत्नी होने के कारण दुनिया नहीं पूजती। बल्कि उन्होंने कदम कदम पर एक बेटी, एक पत्नी, एक राजा की पुत्र वधु, एक सम्राट के प्रजा के प्रति प्यार और धर्म के लिए राजसी वैभव का त्याग, धैर्य, साहस के साथ स्त्री और पतिव्रता धर्म का पूर्ण रूप से पालन किया था। जिसके कारण इनका नाम बहुत आदर से लिया जाता है। और बनने वाली इस प्रतिमा के चारो ओर देवी सीता के 108 प्रतिमाओं के जरिए उनके संपूर्ण जीवन को दर्शाया जाएगा। काउंसिल के संस्थापक ने बताया कि इस जगह पर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इसे नौका-विहार की तर्ज पर विकसित किया जाएगा।

पिछले दिनों सीतामढ़ी के सर्किट हाउस में रामायण रिसर्च कॉउन्सिल की हुई प्रेस वार्ता में यह बताया गया कि माता सीता की 251 फीट ऊंची की प्रतिमा लगाने के लिए ‘श्रीभगवती सीता तीर्थ क्षेत्र’ नाम की समिति का भी गठन किया गया है। इस समिति की अध्यक्षता स्थानीय सांसद सुनील कुमार पिंटू करेंगे। इस मामले पर सांसद पिंटू ने कहा कि माता की प्रतिमा के लिए 10 एकड़ जमीन की जरूरत होगी। जिसके लिए जल्द ही जमीन को चिन्हिंत किया जाएगा। संस्थापक कुमार सुशांत ने बताया कि प्रतिमा के साथ ही माता के जीवन पर आधारित एक डिजिटल म्यूजियम भी बनाया जाएगा। इसके साथ ही रिसर्च इंस्टीट्यूट और अध्ययन केंद्र का भी निर्माण किया जाएगा। इसके बाद जिले में माता सीता की भव्य प्रतिमा स्थापित करने के लिए लोगों के साथ ही मठ के महंत भी आगे आने लगे हैं। इस क्रम में सोमवार को बखरी महंथ रामलीला दास की अध्यक्षता में रामजानकी मंदिर परिसर में बैठक हुई। बैठक में महंत ने माता सीता की प्रतिमा निर्माण के लिए दस एकड़ जमीन देने की घोषणा की। उनके इस निर्णय का स्थानीय ग्रामीणों ने स्वागत किया तथा उनके श्रद्धा की सराहना की।

आपको बता दें कि माता सीता की प्रतिमा वाले परिसर में दूसरे देवी-देवताओं को भी प्रतिमाएं भी स्थापित की जाएगी। संस्थापक के मुताबिक यहां पर तुलसीदास, बाल्मिकी, केवट समेत रामायण के सभी प्रमुख पात्रों की प्रतिमाएं लगाई जाएंगी। साथ ही उन्होंने बताया कि माता के कई शक्तिपीठों जैसे- मध्य प्रदेश के नलखेड़ा में मां बंगलामुखी की ज्योत लाकर इस जगह को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की भी तैयारी चल रही है। पर्यटन स्थल को बढ़ावा देने के लिए सीतामढ़ी में Interpretation Centre, Library, पार्किंग, फूड प्लाजा, लैंडस्कैपिंग के साथ दूसरी सुविधाओं पर भी ध्यान दिया जाएगा।

कुमार सुशांत ने ये भी बताया कि माता सीता की प्रतिमा स्थापित करने के लिए बनाई गई समिति में कुल 21 सदस्य शामिल हैं। जिसे बाद में इसे बढ़ाकर 108 कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस समिति में देश के हर राज्य से एक-एक सदस्य को शामिल किया जाएगा। जिन देशों में सनातनी ज्यादा है, उन देशों से भी एक-एक सदस्य को समिति के लिए नामित किया जाएगा। रामायण रिसर्च काउंसिल के संस्थापक कुमार सुशांत ने प्रेस कॉन्फ़्रेशन के दौरान बताया कि प्रतिमा के लिए करीब 10 एकड़ जमीन की जरूरत है, वहीं इसके निर्माण में 400 करोड़ रुपए का खर्च का अनुमान लगाया जा रहा है। कुमार सुशांत ने कहा कि जमीन चिन्हिंत होने के बाद बिहार सरकार और फिर केंद्र सरकार को इस बारे में सूचना दी जाएगी। और सरकारों पर ज्यादा भार न पड़े, इसके लिए लोगों का भी सहयोग लिया जाएगा।

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