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बच्चों की इम्यूनिटी के आगे कोरोना का निकला दम, दूसरी लहर में पटना के 1670 बच्चों ने संक्रमण को दी मात

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कोरोना की दूसरी लहर पर बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता भारी है। दूसरी लहर में पटना के 1670 बच्चे कोरोना को मात देकर बीमारी से ठीक हो चुके हैं। अच्छी बात यह है कि इनमें ज्यादातर बच्चों ने बगैर अस्पताल गए बीमारी पर काबू पा लिया है। जिला प्रशासन ने ऐसे बच्चों की सेहत पर निगरानी के लिए गठित एक टीम को नजर रखने को कहा है ताकि ये बच्चे पुन: बीमारी की चपेट में नहीं आ सकें।

जिला प्रशासन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 25 मार्च से 6 मई के बीच पटना जिले में 13 साल तक के 2639 बच्चे संक्रमित हुए हैं। इसमें 1670 बच्चों ने बीमारी पर विजय पा ली है। इनकी सेहत की निगरानी एक टीम द्वारा की जा रही थी। अभी भी 969 बच्चे ऐसे हैं, जिनमें बीमारी सक्रिय है। बीमार हुए बच्चों में ज्यादातर घर पर ही ठीक हुए हैं। विशेषज्ञ इसका मुख्य कारण बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होना बता रहे हैं। शहरी क्षेत्र में कोरोना वायरस का प्रभाव बच्चों पर अधिक रहा है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों पर इस बीमारी का प्रभाव काफी कम रहा है। बीमार होने वाले बच्चों में मात्र 5 फीसदी ग्रामीण क्षेत्र के हैं, जबकि 95 फीसदी बच्चे शहरी क्षेत्र के हैं।

केस 1
7 अप्रैल को बाढ़ के संजीव प्रसाद संक्रमित हुए थे। संजीव किराना व्यवसायी हैं। इनके तीन बच्चे हैं। वह घर में ही अलग रह रहे थे लेकिन 4 दिन बाद तीनों बच्चे एवं पत्नी को भी खांसी और बुखार हो गयी। जांच में सभी संक्रमित निकले। संजीव बताते हैं कि दवाइयों के साथ साथ आयुर्वेदिक नुस्खे ने ज्यादा काम किया। हल्दी युक्त दूध, सेंधा नमक डालकर पानी में गरारा करना, नींबू और संतरे का उपयोग कराया। एक सप्ताह के अंदर तीनों बच्चे ठीक हो गए लेकिन पति-पत्नी को ठीक होने में 15 से 20 दिन लग गए। 

केस 2
विजयनगर के रहने वाले उपेंद्र पांडे का एकलौता बेटा 17 अप्रैल को संक्रमित हो गया। उसकी उम्र 12 वर्ष है। बेटे में संक्रमण उपेंद्र के कारण ही हुआ था। इसीलिए वे और ज्यादा परेशान थे। स्थानीय डॉक्टर से दिखाया। डॉक्टर ने सर्दी-खांसी की दवा देकर बच्चे को आराम करने की सलाह दी। उपेंद्र ने ठीक से देखभाल की। सुबह-शाम बच्चे का ऑक्सीजन लेवल मापते रहे। जब उसे परेशानी होती थी तो स्थानीय डॉक्टर से सलाह ले लेते थे। उनका बेटा 5 दिनों के अंदर ठीक हो गया। 

बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होने के कारण बीमारी का असर अधिक नहीं हुआ है। इसके बावजूद 14 साल से कम आयु वर्ग के बच्चों की सेहत की निगरानी के लिए एक विशेष टीम काम कर रही है।
– डॉ. चंद्रशेखर सिंह, डीएम, पटना

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