बिहार के नालंदा में बुधवार को लम्बे समय से चल रहे एक जघन्य अपराध का पर्दाफाश हुआ। पुलिस ने एक ऐसे गैंग को पकड़ा है जो की कई गंभीर अपराधों के आरोपियों की उम्र कम कर उन्हें नाबालिग दर्शा कर उनकी सज़ा कम करवा देता था गैंग में कोर्ट के मुंशी से लेकर सरकारी स्कूल के शिक्षक तक शामिल हैं I पुलिस ने अभी दस लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है , इनमे से अभी कोई भी आरोपी पकड़ा नहीं जा सका है लेकिन पुलिस का दावा है की जल्द ही सारे आरोपी सलाखों के पीछे होंगे।
इस गैंग का अस्तित्व पिछले दिनों राजगीर के प्रसिद्ध ठेकेदार कुंदन सिंह हत्याकांड के दौरान सामने आया। कोर्ट में मुख्य आरोपित कुंदन कुमार द्वारा आदर्श मध्य विद्यालय सरमेरा का विद्यालय स्थानांतरण प्रमाणपत्र कोर्ट के सामने प्रस्तुत किया था , प्रमाण पात्र पर प्राथमिक विद्यालय तकियापर, बिहार शरीफ की मुहर थी I इससे आरोपी कुंदन कुमार को नाबालिग साबित करने की कोशिश की गयी थी। कोर्ट के जज को प्रमाणपत्र पर संदेह हुआ तो जज मानवेन्द्र मिश्रा ने एसपी को पत्र लिखकर मामले की जांच के आदेश दिए ,
एसपी के आदेश पर थानाध्यक्ष संतोष कुमार मामले की जांच में जुट गए I सबसे पहले वे कोर्ट में पेश स्थानांतरण प्रमाण पत्र की जांच के लिए प्राथमिक विद्यालय सरमेरा पहुंचे तो वहां प्रधानाध्यापक ने साफ़ कहा की यह प्रमाण पत्र फ़र्ज़ी है I अब मामले की परत दर परत खुलती जा रही थी I पुलिस का पूरा ध्यान अब फ़र्ज़ी प्रमाण पात्र बनाने वाले गैंग की ओर लग गया। जांच में पता चला की इस मामले के पीछे एक लम्बा चौड़ा गिरोह जिसमे कोर्ट के मुंशी से लेकर सरकारी स्कूल के शिक्षक और प्रिंटिंग प्रेस के लोग शामिल है I पुलिस ने कुल दस आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है I आरोप साबित होने पर उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई जा सकती है।