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नेहा सिंह राठौर का एक नया गाना, किसानों की आपबीती सुना कर सरकार पर निशाना

नेहा सिंह राठौर बिहार की लोक गायिका के रूप में अपनी छवि बना चुकी हैं। नेहा अक्सर अपने गानों के माध्यम से सरकार पर तंज कस्ती हैं। अब फिर से नेहा अपना एक और गाना लेकर आई हैं। जिसमें वह नेता विधायक पर तंज कस्ते हुए किसान गीत गए रही हैं। नेहा के इस गाने में वह किसान और मजदूर की तरह ही सिर पर गमछा बांध गीत गा रही हैं।

यूपी इलेक्शन को लेकर नेहा ने पिछले दिनों कई गाने गाये थे और अब फिर से एक और गाना लेकर आ गयी हैं जिसका बोल है “केहू बूझे नाहीं।” बता दें कि इसे पहले नेहा ने ‘यूपी में का बा’ गीत गयी थी। जिस कारण की वजह वह काफी चर्चा में रहीं और खूब ट्रोल भी हुई थी। इनसब के बावजूद भी नेहा ने ‘यूपी में का बा’ गीत के तीन सीरीज लाई थी।

फिर रेलवे अभ्यर्थियों के आंदोलन के बाद भी नेहा ने युवाओं के लिए बेरोजगारी गीत भी गाया। और एक बार फिर से एक नया गीत लेकर वह आ गयी हैं। जिसमें वह अपने गीत के माध्यम से किसानों का दर्द सामने रख रही हैं।

नेहा सिंह राठौर का यह गीत भी उनके पिछले कई गीत की तरह ही पॉलिकिल सटायर है। उन्होंने अपने इस किसान गीत में सरकार को निशाने साधा है। उनके इस नये गीत के बोल यूँ हैं कि, “भादो, आषाढ़ चाहे जेठ के घाम केहू बूझे नाहीं….. बारहो महीना नाही कारे आराम केहू बूझे नाहीं…. खेतवा के रोपनी किसनवां करे ला हो… खून पसीना से माटी के सींचे ला हो…बद से बदतर बा हो पानी-बिजली के झाम हो…. केहू बूझे नाही हो….।”

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